________________ | वेत् // तत्तदेव विधातव्यं / प्रयत्नेन विचक्षणैः // 15 // जीवोऽयमुद्यमी याह-गर्योपार्जन- || || हेतवे / तादृक्चेधर्मकार्याय / तदा किं नास्य सिध्यति // 16 // अर्थमूलो गृहावासः / स चरित्र त्वार्थोऽनर्थकारणं // सर्वसंग्या परित्यागः / कर्तव्यस्तेन हेतुना // 17 // अर्थेन दृष्टमात्रेण / जीवो नवति लोजवान् // लानेन गणयेन्नैव / सुहृदो न च बांधवान् // 27 // अर्थस्यानर्थमूलत्वे / कथ्यमानाधुना कथा // चित्तेन सावधानेन / जो जो सन्या निशम्यतां // 15 // ' श्रीवसंतपुरं नाम / पुरमासीन्महत्तमं // कृतारिमर्दनो राजा / तत्रादरिमर्दनः // 2 // राज्यकार्यविधौ धुर्यो--ऽनिधानाबुद्धिसागरः // बुद्धिसागरजूतोऽभू-मंत्री तस्य महीपतेः // 1 // बभूव गुणसाराख्यो / हितो राशि पुरोहितः // प्रशस्तः सेल्सहस्तोऽभू-न्महासेना- || निधोऽपि च // // सप्रजायां सजायां ते / प्रजाते पुरुषोत्तमाः॥ चत्वारस्तस्थुरागत्य / पुरुषार्था श्वांगिनः // 3 // भवतां मंदिरेष्वद्य / खयंभूवदनेवि // चंगा रंगकरै रंगैः। सुव. रुचिरोचिताः // 24 // श्व वेदा अनिर्वेदा-श्चत्वारो जझिरेंगजाः // नृत्यास्तान् वर्धया| मासुः / सानंदमिति वादिनः // 25 // युग्मं // अथ राजा हृदा हृष्टः / सचिवादीनदोऽवदत्॥ P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust