________________ प्रत्येक खदानंदा-द्राजा रोमांचकंचुकः // महासत्यधुना गों / मामकीनः क्व विद्यते॥ ॥अ. || य यावद् घ्यं चित्ते / शल्यवबव्यतिस्म मे // एको जवतीविरहो / द्वितीयो गर्न एवः सः॥ चरित्र // 3 // यस्यावतारतो मातु-रुत्तमो दोहदोऽनवत् // नविता लाग्यवान् गाढं / स नूनं नं |दनो मम // 4 // राजीवेषु विकासः क्व / विना राजीवबांधवं // क्वोत्तमो दोहदो मातु- - ग्यवंतं सुतं विना // 5 // एवं पृष्टा नरेंप्रेण / बजाषेऽथ महासती // करकंसुरयं राजा। स गों द्वारि संस्थितः // 6 // सिक्तोऽमृतलरेणेव / वचसा तेन नूपतिः // महासत्यपि वृत्तांतं / सर्वं सौवमचीकथत् // 7 // राजा गजेंजमारुह्य / कृत्वा च रणवारणं // प्रतस्थे सपरीवारो। निजनंदनसन्मुखः // 7 // अथ राजानमायांतं / प्रेक्ष्य संतोषिताशयः // करकं. मुनरेंजोऽपि / तस्य सन्मुखमागमत् // ए१ // गजेंद्रादवतीर्यायो / नूमीपीठे बुग्न् बुग्न् // आगत्य विनयात्तात-पादपी नमोऽकरोत् // ए५ // पादौ प्रमार्जयामास / बोटितैर्निजमू. धजैः // तत्पादौ दालयामास / श्रवनिः प्रमदाश्रुभिः // ए३ // सुतमुत्थाप्य हस्तान्यां / ल(जया प्रणताननं // आलिलिंगोबलत्प्रेम्णा / पिता हर्षाश्रुलोचनः // ए४ // निपत्य पादयो . PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust