________________ होना त्याह हे वत्स / कुलीन क्षत्रियोत्तम // पित्रैष सह संग्रामः / किमारब्धस्त्वयाधुना // 6 // || सविस्मयः स वक्तिस्म / प्रसादसदनाशये // जगदे जगदेकार्थ्ये / भगवत्या किमीशं // 6 // चरित्र पितायं मम चांमाल-स्तत्पादयुगपंकजं // देवस्येवास्य सेवेऽहं / विरोधः क्वास्ति तेन मे // 6 // साध्वी पुनर्बनाणैवं / वत्स नायं पिता तव // किंतु माता त्वदीयाहं / पिता तु दधिवाहनः // 63 // सा दोहदात्समारज्य / गजेंद्रहरणादिकं // श्मशानत्यागपर्यंतं / सर्व वृत्तांतमच्यधात् // 64 // आहूतः सोऽपि चांमालः। पृष्टश्च करकंमुना // अनेकान् शपथान् दत्वा / स सत्यं प्रोक्तवांस्ततः // 65 // पितुर्नामांकितां मुद्रां / रत्नानं रत्नकंबलं // श्रानीय दर्शयामास / स तस्य पुरतस्तदा // 66 // ज्ञातोदंतो महानंद-पूरपूरितमानसः // तस्या मातुः पदां नोजे। स ननाम महर्महः॥६७॥ वत्सैनं विग्रहं मंच / पद्मावत्येति जाषिते // स गर्वपः र्वतारूढः / प्रांजलिः संस्तदावदत् // 67 // क्षत्रिय व गण्यते / पितृवात्रादयो रणे॥ तत्कथं सांप्रतं युद्धं / सह पित्रा त्यजाम्यहं // ६ए // तथा कृते कथं तात-पादैरेव न लज्ज्यते // तदुपेत्य न स्यामि / श्रीतातानपि सांप्रतं // // हे मातस्तावकादेश-पालको बालको P.P.AC.GunratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradhak Trust