________________ प्रत्येक नंष्ट्वा प्राप्तः पुरीं चंपा / पुर्गरोधं चकार सः // खसैन्यैः करकंडुश्च / तं को पर्यवेष्टयत् || // 50 // कपिशीस्थितानेक-सुनटैः सह पुःसहः // संग्रामो जायते नित्य-मन्योन्यं नृपयोस्तयोः // 51 // अस्मिन्नवसरे पद्मा-वती व्रतवती सती // अौषीजनचक्रेन्यो / विग्रहं पितृपुत्रयोः // 55 // विज्ञप्य सकलं बाल-त्यायाद्यं निजचेष्टितं // सागान्महत्तरादेशा-निधिवत्सैन्यसन्निधौ // 53 // करकंम्वतिके सागा-त्तस्याः सन्मुखमुत्थितः // स पादयोर्मुठन्मौलि-रिति प्रांजलिरच्यधात् // 54 // धन्योऽहं कृतपुण्योऽहं / जाग्यवानहमेव हि // मद्गृहे जगवत्या य-त्कृतं पादावधारणं // 55 // अद्य मे सफले नेत्रे / अद्य मे सफलं शिरः // अद्य मे सफला वाणी। यत्त्वं दृष्टा नता नुता // 56 // नेत्राच्या प्रमदामृतेन ज. रितं देहेन रोमांचितं / शीर्षेणोत्सुकितं ममोत्तमनमस्कार क्रियायां तथा // चित्तेनोब्वसितं सितं गुणगणं स्तोतुं गिरा कांदितं // हर्षाद्वैतमिवाभवनगवति त्वदर्शनात्सांप्रतं // 5 // जवती जगवत्यस्ति / सर्वजीवेषु वत्सला // सर्वकाले विशेषेणा-बाह्यान्मयि कृपापरा // 5 // || निषीदात्र प्रसीद त्वं / वदागमनकारणं // अमंदानंदसंदोह-कंदकंदलनांबुदं // एए // जगव Jun Gun Aaradhak Trust 'PP.AC.Gunratnasuri M.S.