________________ पर सूचकं // 3 // सांप्रत दक्षिणं चतुः / स्फुरित केन हेतुनी // उत्कटो दृश्यते वैरी / कुत्रा || बानीष्टसंगमः // 35 // तदिदं निष्फल नून-मथवा नात्र संशयः // अनेंके प्रत्यया जाता / येनैतस्य पुरा मम // 40 // एवं विचितयन् राजा / नृपेण करकंमुना // सह संग्राममारे ने / सहसा साहसालयः // 1 // त्रिनिर्विशेषकै // श्रीकांचनपुरेशस्य / दर्शनादमृतांदिव // दधिवाहननूपस्यो-पशाम्यत्कोपपावकः // 42 // अन्योन्यं पितृपुत्रत्व-प्रेमप्राग्लारपूरितौ // युध्यमानावुनौ बाणान् / साशंकं मुंचतःस्म तौ // 43 // चपेशस्तत्र जानाति / यदेतस्य सुतेजसः // निजांगजवदुत्संग-मारोप्या श्लेषमादधे // 4 // करकंमुश्च जानाति / विनयेन नमाम्यहं // तातस्येवास्य पत्पद्मं / युध्येऽहं किमनेन हि // 45 // इत्यन्योन्योबलत्प्रेम-कलितावपि लीलया // अयुध्येतां तथा किंचि-यथाश्चर्यमिवाजवत् // 46 // चिरात्पद्मावतीजा|| त-चपेशचापमछिदत् // खजादीन्यपि शस्त्राणि / खंगशोऽन्यान्यखंम्यत् // 7 // अहो शौ यमहो वीर्य-महो रूपमही महः // अहो माहात्म्यमेतस्य / जगदाश्चर्यकारणं // 4 // अ॥ स्याग्रतो न जेतव्यं / पलायनमितो वरं // एतद्विमृश्य संग्रामा-प्राणशदधिवाहनः॥ ४ए / un Gun Aarashak P.P.AC.Gunratnasuri M.S