________________ सैघो / विवेकी करकंडुराट् // निवार्य संयतो नृत्यान् / स्कंधावारमवीविशत् // 27 // दधि- / वाहनराजोऽथ / क्रुको नृकुटीजीषणः // तदैव योध्धुमुत्तस्थौ / दतैर्दैतबदे दशन् // 25 // खामिन् रात्रिरियं जाते-स्यायुक्त्वा मंत्रिनिर्नृपः // सुस्थीकृतो यथास्थानं / सोऽपि सैन्यं न्यवेशयत् // 30 // प्रातःकालेऽथ संजाते / रणतूर्यादिपूर्वकं // उने अपि महासैन्ये / आरेलाते रणांगणं // 31 // दर्शयैतेषु चांमालः / करकंमुः स को नवेत् // दधिवाहनराजेन / पृष्ट एकः पुमानिति // 32 // स प्राह साहसाधारो / ज्वलदंगस्फुरत्करः // यो धुन्वन् वैरिणो वृक्षा-नागबन्नस्ति हस्तिवत् // 33 // स्फूर्त्यांकृत्या शरीरस्य / वर्णेन च महौजसा // तवैव सहशो योऽस्ति / करकंमुमुवैहि तं // 34 // निशम्येति नराधीशः / श्रीकांचनपुराधिपं // विलोक्योहतयोछार-मिति चेतस्याचंतयत् // 35 // यत्राकृतिस्तत्र गुणा भवंति / यस्मिन् गु. णास्तस्य कुलं प्रधानं // तस्मादयं क्षत्रिय एव कश्चि-त्स्फूर्त्या तथा स्यान्न पुनः श्वपाकः // 36 // विमृशन्निति साश्चर्य / श्रीमच्चंपापुरीश्वरः // करकंडं समायांत-मत्यासन्नं समैक। तः॥ 37 // तस्य दर्शनमात्रेण / दक्षिणेनास्य चक्षुषा // स्फूरितं तत्कणं दक्षिणेष्टसंगम P.P.AC. GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak. Trust