________________ - स्मार्षीदेवतादत्तां / शूरसेनस्तदा गदां // 5 // निर्दयं गदया हत्वा / ज्वालामालाकरालया // // शूरसेनो जयानंद / नूमीपीठमलीबुग्त् // 6 // पतितस्यापि घाताय / स प्राणहरणोयतः॥ गदामुत्पाटयन् दृष्ट्वा / हक्कितः करकंफुना // 7 // किमेतत्कुरुषे पाप / क्षत्रियानास रेऽधम // पतिता न हि हंतव्या / उत्तमैर्वीरमानिनिः॥ // इति निर्सितः शूर-सेनोवोचदरे जम // किं प्रत्ययो न जातस्ते / सेनानीसैन्यवीक्षणात् // ए॥किं ब्रूषे रे श्वपाकात्र। पराक्रमविवर्जित // श्मशानं विद्यते नेदं / क्षत्रियाणां रणो ह्ययं // 10 // यद्यंतकग्रहं गत्वातिथीनवितुमिबसि // तदाग त्वमप्यत्र / पूरयामि मनोरथं // 21 // प्रत्युत्तरमनुक्त्वैव / करकमुनरेश्वरः // अचीचटनुर्बाणौ / विशिष्य तस्य सन्मुखं // 15 // एकेन तेन बाणेन / स तत्कोदेममविदत् // द्वितीयेनार्थ बाणेना-ध्वंसिष्ट रथसारथी // 13 // लीलयैव स भूपीते / शूरसेनमपातयत् // महांती नैव जल्पंति / कृत्वैव दर्शयति यत् // 14 // पदातीभूय | संक्रुद्धः / शूरसेनोऽन्यधावत // गदामुत्पाव्य हस्तान्यो / करकमुनृपंप्रति // 15 // कदाचिं॥ बन्यते रत्नं / पतितं सांगरांतरे // परं पुरुषरत्नं नो / हतं वचन दृश्यते // 16 // इदं पुरुष / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust -