________________ मता // 17 // पुंसां कुलोनवानां नो / न चातुर्यविदातृणां // केवलं बलिनामेव / बलसाध्या वसुंधरा // 15 // शृगाला श्व जूपालाः / पालयंति पितुर्जुवं // सिंहा श्व परं द्वित्राः / खचरित्र यमार्जतजोजकाः // 20 // अयं चांमालबालः सन् / संग्रामं किं करिष्यति // गर्वावेशाछि६१ // शांनाथे-त्यवझा मा कृथा वृथा // 1 // एकग्रामस्य चेल्लोशं / करिष्यसि तदा तव // चिरस्थायि न पश्यामि / राज्यराष्ट्रादि किंचन // 25 // देशस्याथें त्यजेदग्राम / ग्रामस्यार्थे || कुलं त्यजेत् // कुलस्यार्थे त्यजेद् गेहं / गेहस्यार्थे त्यजेन्नरं // 3 // प्राणान् देशं च राज्यं च / चेत्ते पालयितुं दमः // ग्राम एकस्तदादेय- स्तोषणीयः स भूपतिः // 24 // ग्रामदानेन ते. नाद्य / संधिं कुरु महाजुजा // विपत्सु तव साहाय्यं / प्रसन्नः स करिष्यति // 25 // खतो हीनबलेनापि / विरोधो न सुखश्रिये // नृपेणाधिकवीर्येण / किं वाच्यं करकंफुना // 26 // आक्रमत् क्रमतो भूपान् / स खबाहुपराक्रमात् // विचारय विचार / साधं तेन विधीयतां // 27 // एवं विधानि वाक्यानि / श्रुत्वा साटोपकोपनाक् // दधिवाहन आचष्टे / क एष करकमुराट् // 27 // यदेष मामुदासीन-मागत्यैवमुपस्थितः // तत्प्रसुप्तस्य सिंहस्य / कर्णन 'P.P.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust