________________ हावीर्याः / खवटकपाणयः // उमलतो-रणोत्साहा-सह सर्वतोमुखाः॥७॥ चतुरंगः मथो सैन्य / दोणिपीठमचुकुनत् // चलत्पृथुलविस्तार-ममर्यादपयोधिवत् // // अपरा चरित्र अपि पाल-श्रेण्यः सबलवाहनाः // करकंमुबलं जेजु-निम्नगा व सागरं // ए. बलोऽधू: | तरजीव्याजा-धासांसि विविधान्ययं // भूयो देशांतरं गहन् / ददौ दिग्ज्यो दिशांपतिः॥॥ समुध्धूते रज घुले / रणोत्साहोत्सलद्दलं // विलोक्यादृश्यतां प्रापं / जयादिव दिवाकरः // 11 // सामदानददैन रतरावर्तिभूपतीन् / साधयन्नाययों चंपा देशसंधि स विक्रमी // 15 // तदुर बलं दृष्ट्वा / ग्राम्यैरुच्चलितं जनैः॥सिंहदर्शनमासाद्य / शृगालैः स्थीयते कथं // 13 // सर्वश्चंपापुरीदेशः / शून्योऽभूमीतमानसः // उडूंखलैटेचूंरि-जूतिरपाहि बुंटनात् // 14 // " करकंमुनराधीशः / पुनः संदेशहारकं // चातुर्यधारक प्रैषी-दधिवाहनसंनिधौ // 15 // स गत्वोवाच नूपालं / प्रबलं दधिवाहन // पराक्रमात्कृतं येन / वीरवर्गावगाहनं // 16 // जो || जोः शृणु महाराज / मन्मुखेन मम प्रतुः // त्वदेशसंधिमायातो। भाषते करकमुराद // 17 // // मदादेशाद् द्विजायास्मै / ग्राममेकं प्रदेहि भोः // अथवा कुरु संग्राममिति कोटिठयी // AC.Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust