________________ - पर मुस्तव प्रजुः // यदस्मानिः श्वपाकः सन् / व्यवहर्तुं समीहते // 6 // अज्ञातं निर्धनो नूनं / कदाचिल्लनते धनं // तदा तस्यानिमानेन / तृणवन्मन्यते जगत् // 7 // तथा चोक्तं-अ. चरित्रं वंशपतितो राजा / मूर्खपुत्रो हि पंमितः // अधनेन धनं प्राप्तं / तृणवन्मन्यते जगत् // 7 // 5 हीना जवंत्यहंमन्या / बलेनाल्पीयसापि हि // महतोऽपि न सामर्थ्या-न्महांतस्त्वनिमानि नः ॥ए // यतः-वृश्चिको विषलेशेना-प्यटत्युत्पाट्य कंटकं // गर्व विषजरेणापि / सो नै वापसर्पति // ए // मामप्यपरभूपाल-सममेव स मन्यते // बिले बिले न गोधाः स्युः / कचित्स्युः पन्नगा अपि // ए१ // तद्याहि न हि दास्यामि / ग्रामं कंचन मामकं // लजाकर मिदं दानं / क्षत्रियेषु ददाति कः // ए // वसुना गृह्यते वस्तु / व्यवहारोऽयमीदृशः // वणिजामेव योग्यः स्या-द्वयं तु दतियाः पुनः // ए३ // आजन्म न मया चक्रे / याश्चानंगो हि कुत्रचित् // परं येन परादेशं / विनाहं प्रार्थितो नृणा // ए४॥परं पराझथा यो मां। यदि किंचन याचते // प्राणानपि ददाम्येव / परं तस्तु न खकं // ए५ // तमन रे यथा|| यात-मित्युक्तस्तेन जूजुजा // अर्धचंडं गले दत्वा / दूतो निर्वासितस्ततः // 6 // करक P.P.Ac:Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust