________________ प्रविवेश पुरांतरा // 34 // युग्मं // क्रमाद्राजांगणं प्राप्तो / गजेंडादवतीर्य सः // सिंहासनमलंचके / नजोंगणमिवांशुमान् // 35 // राजेंडा अपरे सर्वे / प्रणेमुस्तत्पदांबुजं // आज्ञा प्रौढप्रतापस्य / प्रससार महीतले // 36 // शुचित्वमानिभिर्विप्रैः / स्थाने स्थाने मया सह // क्रियते हठ श्त्यास्मा-प्रोषाप्राज्ञा हिजा धृताः // 37 // चांमालैम लिनैः साकं / बलात्कारेण जोजनं // ब्राह्मणाः कारिताः सर्वे / किसंसाध्यं बलीयसां // 30 // चांझालानां द्विजातीनां / विवादास्तु परस्परं // कारितास्तेन यदाज्ञा-माझा मान्येत मानवैः ॥३ए // योजिता केऽपि जूदेवा / नीचे चांमालकर्मणि // विपरीतं जगत्कर्तुं / क्षमस्तादृगियत्कियत् // 40 // कालांतरे श्यं जाता / प्रसिद्धिरस्य भूजुजः // नास्करो मेघवन्नोऽपि / तमोऽसौ नाशयेन्न किं // 41 // दधिवाहनपुत्रेण / नृपेण करकंमुना ॥धान्यवाटकवास्तव्या-श्चांमाला ब्राह्मणीकृताः // 42 // विधिवत्तेन नूपेन / करस्पृष्टा वसुंधरा // अवर्धिष्ट विशेषेण / पत्येव स्त्रीस्तनछयी॥४३॥ यत्प्रतापप्रदीपेन / दह्यमानोऽप्यहनिशं // चित्रं न सांजनो जझे। कदापि नुबनालयः // 4 // पराक्रमपराजूत-प्रशूतरिपुभूपतिः // सर्वत्राचिरकालेन / प्रसिधि प्राप P.P.AC.Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust