________________ प्रोजेन वृद्धेन / सुधावन्मधुरोक्तिभिः ॥बोधिता उडताः स्थानं / जग्मिवांसो निज निज // 1 // अथाव बिन्नगमनै-गंबंतस्ते त्रयोऽपि हि // सतमे दिवसे प्रापुः / श्रीकांचनपुरांति. चरित्रं कं // 2 // श्रांता दीर्घस्य मार्गस्य / संघनेन निरंतरं // एकस्य पादपस्याधः / सुषुवुः सुखनिद्रया // 3 // अपुतस्तत्र भूपालो / जगाम यमसद्मनि // सामंतमंत्रिणश्चक्रुः / पंचदिव्याधिवासनां // 4 // राजपुत्रा अहंमन्याः / स्फारशृंगारधारिणः // मोटयंतो निजरमधूं-स्तस्थुरेत्य चतुःपथं // 5 // दैवादस्तं गते पूर्व-नूपे दिनपताविव // तारा व दिदीपुःस्मः / राजपुत्रा पुरांबरे // 6 // पंच दिव्यानि जव्यानि / राजलोकवृतान्यथ // देवताधिष्टितान्येतइज्रमुः सकलं पुरं // 7 // राज्ययोग्यमपश्यति / तत्र कंचन मानवं // करकंमुगुणाकृष्टानीवाजग्मुर्वनांतरं // 7 // तत्र सुप्तस्य निःशंकं / करकंमोः शिरस्तले // राज्याभिषेकमकरोकरी कलशढासनात् // 5 // यो हेषारवं चके / बत्रेणोद्रितमंबरे // अवीजि चामरान्यां नु / दधिवाहननंदनः // 10 // स ससंज्रममुत्तस्थौ / किमेतदिति चिंतयन् ॥.पश्यामि किमिदं स्वप्नं / किं वा प्रकटनाटकं // 11 // संजालमिदं किं वा / यथावस्थितमेव वा // दे. PP.AC.Gunratriasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust