________________ प्रत्येक नगं // निशान ए oli नगं // निधानं दृष्टपूर्व त-स्थिरचित्तो निरदत // ए१ // लात्वा रत्नान्यपूर्वाणि / नेटयि त्वा नरेश्वरं // सर्वामचीकथशाता / तुष्टो न्यायी स उक्तवान् // ए // त्वया चेन्निजलाग्येन / प्राप्तो विजव ईदृशः // तत्त्वं सुंदव निराशंकं / महानाग महामते // 3 // अथ गेहं समागत्य / सत्कृत्य वजनान् जनान् // किंचित्तेज्यो ददौ किंचि-निजगेहेऽप्यरदयत् ॥ए // कमले सलिले यह-दंकुरः पृथिवीतले // तस्य गेहे तथा लक्ष्मी-रवर्धिष्ट शनैः शनैः // एए॥ यचिरेणापि स प्राप / धनेन धनदोपमां // यः कल्पवूनधश्चके / दानापूर्वस्थि. तानपि // ए६ // प्रासादाः श्रीजिनेंद्राणां / सुधाधवलितोज्ज्वलाः // मूर्तिमंति यशांसीव / कारितास्तेन भूरिशः // एy // पात्रापात्रविचारइं / ददानं दानमजुतं // तं वीक्ष्य लड़ायेवायं / मेघः श्यामलतां गतः // ए // यदान निर्जितेनेव / विषादेन विषादनं // चक्रे कल्प| पुणा येन / तनुनीलास्य वर्ण्यते // एए // स्यानाग्यास्थिर चित्तवस्थिरतरा लक्ष्मीविनोपक मनि म्या अहिवृश्चिकादि च निरीदंते निधानेष्वपि // तस्मान्मा कुरुत प्रयासमधुना जायं न वो विद्यते / यस्माइस्तगतापि यष्टिरगमत्सा राज्यलक्ष्मीप्रदा // 50 // एवं हि-|| Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.