________________ / अहं निमेषमात्रेण / खिल्विं स्फाटयितुं दमः // ६ए // राजा सहर्ष आचख्यौ / त्वमेवैतां / / निराकुरु // योऽस्माकं वालयेगाव-मर्जुनः स्यात्स एव हि // 70 // वणिजोक्तं विना शस्त्रं / शूरः शास्त्रं विना हिजः॥ नेषजं च विना वैद्यो / न. कार्य कर्तुमीश्वरः // 1 // तत्प्रदेहि महाराज / सहायान् सेवकान् खकान् // येनानीयौषधान्यत्र / कुर्वे खिल्बेः प्रतिक्रियां // 7 // यमतानिवादाय / सेवकांस्तानदोऽवदत् // उन्मूख्य सकलं कळं / गृहत्वौषधहेतवे // 3 // ते तथा चक्रुरुञ्चमा / मयि पश्यति सत्यपि // दुर्निवारा नृपाझापि / सेवकानां तु का कथा // // गृहीत्वा सकलं कछ / स गत्वा नृपसद्मनि // थाम्बरं महञ्चके / तहि तन महत्वकृत् // 5 // आनालं वसुधापाल-शिरस्तलमलेपयत् // स ओंकारफुटफुट्खाहे-त्यमुं. मंत्रं जपेत्यवक् // 76 // कृत्वोपवासमन्त्रोप- विशोपकुलदेवतं // न स्मार्यो मर्कटश्चित्ते / परमद्य त्वया क्वचित् // 7 // कृपाणसदृशः कल्ये / वेणीदमस्तवैष्यति // औषधानां प्रजावण / किं किं वा नोपजायते // 7 // परं चेत्स्मरसि खाते / कदाचिदपि मर्कटं // तदा कृतःप्र. || यासो में / निष्फलोऽयं नविष्यति // 5 // राजा सर्व तथा चक्रे / वारंवार निवारितः // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust