________________ स्मृतं मम // 4 // श्रेष्टी कोपादिवाचष्ट / मुग्धे शून्यतया त्वया // मदीयमर्जितं वित्तं / / / सर्व निर्गमयिष्यते // // केनापि वस्तुना तत्किं / स्थगितं विद्यते न वा // प्रेयसी प्राह चरित्र कच्चोल-केनाडादितमस्ति तत् // 45 // वचांसीति तयोः श्रुत्वा / दिप्तस्तत्र करो मया // कचोलकं परावृत्त्य / वृश्चिकोऽदशदंगुलौ // 5 // कर फूत्कृत्य फूत्कृत्य / खथूत्केनास्पृशं यदा ॥श्रेष्टिना धर्षितस्ताव-न्मुद्रा किं माति नांगुलौ // 51 // अन्येन्योऽपि गृहेन्यो य-चौ. रयित्वा मयार्जितं // सर्वस्वं तत्र मुक्त्वाहं / जीवग्राहं पलायितः // 55 // इत्येवं वणिजा तेन / वंचितोऽस्मि पुराप्यहं // तावदन्योऽप्यवक् चौर-स्तेनाहमपि वंचितः // 53 // धनस्य मीनतुल्यस्य / ग्रहणाय दिवानिशं // अज्रमं बकवन्मायो / तस्य गेहस्य पार्थतः // 54 // अन्यदा खगृहामात्रा-वुत्सर्गार्थ स निःसृतः // मया फर्गितः कूर्चेऽसौ / विधृतः प्रबलावलात् // 55 // उक्तं च यदि में लद / टॅककानां प्रदास्यसि // तदा मोदयामि नो चेत्त्वों / इनिज्याम्यसिनामुना // 56 // श्रेष्टयूचे मुंच मुंच त्वं / लदं दास्यामि सांप्रतं // उच्चैरूचे कक्षत्रं च / रे रे वाक्यं प्रिये शृणु // 57 // सांप्रतं विद्यते कुर्च / चौरेणानेन मे धृतं / मेलष्टक P.PAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhek Trust