________________ -चरित्र श्रेष्टिनाग्योदयनानु-मिवामृष्यन्नमर्षतः // छीपांतरमगाम्नानुः / प्रससार तमोजरः // 6 // // श्रेष्टिनी श्रेष्टिनं प्राह / स्वामिन् किं वाचि धीयते // कुधाकरा लिता बालाः / प्रसुप्ता अद्य। संत्यमी // 27 // कन्येऽहं किं करिष्यामि / गेहे जोजनमस्ति नो // जवतोत्थाय नो कश्चिदुद्यमस्तु करिष्यते // 27 // श्रेष्ट्याह न प्रिये कार्यों / विषादः कोऽपि मानसे // मन्येऽद्य मम शीर्षस्थो-जागरीजाग्यनास्करः // श्ए // येनाद्य मयका दृष्टं / निधानं महदेककं // श्रेष्टिन्याह कृतः खामिन् / गृहीतं तन्न तत्क्षणं // 30 // जगौ श्रेष्टी मया ज्ञातं / प्राप्तव्य मिदमस्ति चेत् // तदा स्वयं समागत्य / पतिष्यति गृहांतरे // 31 // श्रेष्टिनी पुनराचष्ट। क थ्यते नवतः कियत् // प्राप्योऽपि कवलः किं वा / मुखे निपतति स्वयं // 3 // निधानस्थानक नपा-निझानानि च मत्पुरः॥ पश्चिमे प्रहरे गत्वा / नेष्यामि निजमंदिरे // 33 // अस्मिन्नवसरे तत्र / क्रूराश्चौरास्त्रयः स्थिताः // क्षात्रं प्रपात्य गेहांतः / शृएवंति तत्र तमिरः // 34 // श्रेष्टी चौरानविज्ञाय / जजल्प श्रेष्टिनीप्रति // अनिशानानि सर्वाणि / श्रुतान्यपि च तस्करैः // 35 // चौरैरचिंति किं ताव-दस्य गेहे गृहीप्यते // ब्रजामस्तत्र गृह्णीमो / नि BOMMISHNURAT Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasurt M.S.