________________ यमेव ददात्वसौ // अहमस्मै महारम्यं / दास्ये दंगकपंचकं // 3 // करकंसुः पुनः प्राह / सहस्रैरपि मे न हि // अन्यैः प्रयोजनं किंचि दयमेव विलोक्यते // 4 // एकाश्चंतामणिः चरित्र|| सर्व-कार्यसिफिविधायकः // अतिदीतैरनेकैश्च / काचैः किं नाम साध्यते // 5 // लोकैः पृष्टं किमेतस्मि-स्त्वदीयो गाढमाग्रहः // तदोःखरमित्यूचे / बालत्वात्करकंमुना // 6 // | अस्य दमस्य माहात्म्या-सप्तमे दिवसे ममः॥ किंचिन्महत्तरं राज्यं / नविष्यति न संशयः || | // 7 // जहांस सकलो लोको / वचनं च निशम्य तत् // असंजाव्यार्थवाक्यस्य / प्रयोगो हासदेतवे // // जनैरुक्तं च ते राज्यं ।जायतेऽस्य प्रजावतः॥ अजिरामस्तदाग्रामो।दातव्योऽस्मै द्विजाय च // नए // तचः प्रतिपेदे स / उमित्युक्त्वा विशालधीः // मध्ये भू. याथ लोकेन / विजनः कलहस्तयोः // ए॥ विप्रेण मेलिताः सर्वे / खशातीया महत्तराः // सकलः पुरतस्तेषां / वृत्तांतोऽवाचि संत्रमात् // 1 // सर्वैरालोचितं रात्रा-वेतं चांमालचेटके // व्यापाद्याद्यैव लास्यामो / बलात्कारेण दंगकं:। ए३ // तेषां मंत्रममुं कापि।सश्वपालोऽ. शृणोत् क्षणात् // नूनं जाग्यवतां नैव / प्रजवेरिणा. उलं // ए३ // चांमाली स च चौमालः / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust