________________ : चरित्र - . चे-तदा स्यानिष्फलः खलु // कृते कालविलंबे तुः। विघ्नानि स्युरनेकशः // 2 // किं करोम्यु- || जयोर्मध्ये / प्रपंच रचयामिकं // इति चिंतातुरस्तथौ / कणमात्रं स. वामवः॥ 2 // अष्टनिः कुलकं // या ज्ञातं सांप्रतं दंगो / यन्नो सिद्धिविधायकः // तन्नूनं न्यून एषोऽस्त्य-द्याप्यहो चतुरंगुलः // 4 // खनित्वा नूमिकामध्या-चतुरंगुलमंजसा // दमकं हि. गृहीष्यामि। स्त्री रत्नमित्र दुःकुलात् // 5 // एवं विचिंतयन् विप्रः / क्षिप्रं तत्र समेत्य सः // प्रबन्नं पृथिवीपीठं / चखान चतुरंगुलं // 6 // उत्खन्य दंगकं लात्वा / यावत्स वलितस्तदा // विलोकितोऽधिकं जाग्य-भांजिना करकंफुना // 7 // बलादुछिद्य विप्रस्य / पार्थादग्राहि दंगकः॥ तेन साकं स लोभत्वा-दारेने कलहं हिजः // // 7 // चक्रतुः कलहं गाढं / युध्यमानौ परस्परं // एकद्रव्यानिलाषो हिं। परमं वैरकारणं // पुए // युध्यमानौ पुरं प्राप्तौ। मिलितः | कौतुकाकुलः // लोको नागरिकस्तत्रा-पृष्ठध्यतिकरं तयोः // // करकंमुर्बजाषेऽथ। हि| जौयं चौरवन्मम // श्मशाननुवमागत्य / वंशदमकमग्रहीत् // 1 // मया दृष्टे समुन्नेद्य / गृही|| ते निजवस्तुनि // लोजानिजूतहृदयो / वृथायं कलहायते // 2 // द्विजन्माह मह्यं दंग-म- // P.P.AC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust