________________ प्रत्येका -स्थितो विषहरः स्मृतः // 20 // संगो न जायते नूनं / सदसद्गुणकारणं // अपि राजा- | दनांतःस्थं / बीज कटुकमेव हि // 25 // अनेनैषोऽपि चांमालो / जविता निर्मलः खलु // श्यामलं व्योम चंद्रेण / नोज्ज्वलं क्रियते किमु // 30 // एवं विचिंतयंती सा। समागावमुपाश्रयं // वेगेन तत्र गत्वा. च / व्यलगनिजकर्मणि // 31 // महासतीनिः सा पृष्टा / क्व ते बालो महासति // मृतबालमजनिषि / तत् श्मशाने तमत्यजं // 35 // व्यलीवचनं सैवं / पद्मावत्यप्यनाषत // यतः सर्वत्र संसारे / नान्यथा नवितव्यता // 33 // चांमालस्य गृहे बालः / प्राप वृमि शनैः शनैः // कल्प मांकुर श्व / दैवादवकरावनौ // 34 // अथावकर्णिते इति / श्वपाकस्तस्य सोऽनियां // अकार्षीदुत्सवं कृत्वा / निजगेहानुसारतः // 35 // अथ पद्मावती साध्वी / श्वपिच्या सह सर्वदा // करोति प्रीतिसंसर्ग-माभाषयति बालकं // 36 // यत्किंचिखभते वस्तु / प्रशस्तं मोदकादिकं // तद्दालाय ददौ तस्मै / पुत्रस्नेहो हि उर्धरः॥ // 37 // अवकार्णितोऽपि तस्यों / नक्तचित्तोऽजवलृशं // मातुः स्नेहात्तथा चापि / यो ददाति स देवता // 30 // तदागमात् श्वपाकस्य / गेहान्नष्टा दरिद्रता // प्रदीपो हरति ध्वा / / Po 'PPAEGunratnasuins Jun Gun Aaradhak Trust