________________ चरित्र पोनपिवर्ग चैत् / स्वर्ग गति निश्चित // // मित्रपुर्वकलत्रादि / शरण न शरीरिणां // ए-11 कस्माता जगन्माता / धर्मः श्रीजिनजाषितः // 3 // एवं मदनरेखीतं / सर्व एवेन् कृता जलिः // समस्तास्तमन:पीमः / सुधवैतयां गिरा // // युगबाहुः शुजध्यान-दत्तबा३२४॥ हवलंबनं // धारुरोह से निर्मोहः / स्वर्गप्रीसौंदमुन्नत // 5 // अथ चैत्यशाः कुमारकः / पितरं वीक्ष्य परासुमाशु सः // उपलजतेम विमूर्छनं कणाहहुदुःखाशनितीमितोऽपतत् / / // 6 // कृतनृत्यजनोपजीवनः / स समासादितचेतनस्ततः // सुचिरं कृतरोद॑नो धनं / वि. ललापेति पितुर्वियोगतः // 7 // पितरीहशशक्तिमान् जवान् / कथमासादितवानितः क्षति // किमु वा मृगनायकों बली / न शृगालेन निहन्यते बलात् // 70 // तव जीवितमुत्तम पितः / सुकृतेकायमृतिस्तथाजवत् // उपकारजरेण रंजितः / सकलोऽयं नवता जगजानः॥ // // जगदेतदभूत्वया विना / सकलं शून्यमहो ममाधुना // अथ वत्सलवाक्यसंचयं / त्वमिवान्यो मयि को वदिष्यति // 70 // कुरुषे गुणिनं जनं कुतः / कुरुषे चेकिमु इंसि रे / विधे // तटिनीतटवाबुकाकृता-लयविध्वं सिशिशूपमोऽसि तत् // 2 // एवमादिप्रकारेण / in Aaradhak ust