________________ ___ चरित्रं 33 कपट नाटयन्नेवं / मनोरथनृपस्ततः // किंचिझिातवृत्तांते-रपानीयत रदकैः॥ 61 // एकेन / पुरुषेणाशु.। गत्वा चंद्रयशःपुरः // युगबाहोः वरूपं त-प्रोक्तं सोऽपि संशोकहृत् // 6 // वरवैद्यान् समादाय / तदुद्यानं समाययो॥ वैद्यैश्च जीवनोपाया। बहवोऽपि विनिर्मिताः // 63 // परं प्रहारहारेण / रुधिरं निर्ययौ तथा // यथा तस्याजवत्काय-स्तत्क्षणं पूणिकोपमः॥६॥ यासन्नमरणावस्थं / नर्तारं वीक्ष्य ददया // कर्णाज्यर्ण समन्येत्ये-त्यूचे मदनरेखया // 65 // सम एवात्र संसारे / मृत्युः कातरधीरयोः ॥धीरीभृयैव मर्तव्यं / भूयो न म्रियते यथा // 66 // अर्हतः शरणं संतु / सिझाश्च शरणं मम // साधवः शरणं शुद्धा।धर्मोऽस्तु शरणं मम // 6 // चतुर्णा शरणं श्रित्वा / सर्व निंदख पुष्कृतं // अनुमोदय खपुण्यानि। दमयस्वाखिलागिनः // 60 // स्वामिन् दमां प्रपद्यस्व / मा रोपं कुत्रचित्कृथाः // पूर्वकर्मवशायातं / दुःखमेतत्सइस्व च // ६ए // सुकृतं दुष्कृतं यत्स्यात् / कृतं तस्यानुसारतः // सुखदुःखानि जायते। हेतुमात्रं नरः पुनः // 70 // सम्यक्त्वं प्रतिपद्यख / व्रतान्यंगीकुरुष्व च // जावयन नावनों || चित्ते / स्मर पंचनमस्कृति // 79 // समं पंचनमस्कारैः / प्राणा यस्य व्रजति सः॥ कदाचित P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust