________________ प्रत्येक चंडं। प्रविशंतं मुखांतरे // 14 // तदनंतरमात्मानं / हास्यं कुर्वतमुच्चकैः // युगबाहुकुमारं च / गायतं विरसस्वरं // 15 // विलोक्येति प्रबुद्धा सा / चतुरग्रे न्यवेदयत् ॥सोऽपि बुद्ध्या विचार्याह / स्वप्नस्य फलमीदृशं // 16 // जडे तव यशोव्यूह-धवलीकृतभृतलः // संपूर्ण पूर्णिमाचंद्र--सन्निनो नविता सुतः // 17 // अट्टहासकरणात् / किंचिदुःखं तवोत्कटं // प्राणांतिकोपसर्गो मे / गानात्संजाव्यते प्रिये // 17 // यतः-हसने रोदनं ब्रूया-जायने वधबंधने // स्वप्नशास्त्रे यतः प्रोक्त–मेतत्सर्वार्थवेदिनिः // 15 // गुरुदेवनमस्कार-प्र. णिधानादिनिस्ततः // प्रतिहन्यान्महामंत्रै-विषमप्युपहन्यते // 20 // प्रतिपद्य वचः पत्यु| रुत्थाय स्वाश्रयं गता // युक्ता हर्षविषादान्यां / सुखं गर्जमुवाह सा // 21 // अथ गर्नानुः जावेन / दोहदो हृद्यजायत // नानातीर्थेषु तीर्थेश-वंदने दर्शनेऽर्चने // 25 // प्रियाये तमजिप्रायं / प्राह सा सोऽपि तत्क्षणं // आहूत जिनदत्तस्तां / गृहीत्वोत्पतितो नजः // 3 // गत्वा शत्रुजये पूर्व-मादिदेवं ननाम सा // पूजां मदनरेखायाः / कारयामास पाणिना // 14 // दृष्ट्वा हृत्सागरोखास-चंद्रिका प्रतिमा प्रजोः // अर्चा विरच्य जपत्यासौ / चकारेति स्तवं ! Sahaspithanasunaks .. ... ........: Jan Girl Aaradic Trust