________________ प्रत्येक - -.- त्युः / परस्त्रीपरचेतसः // त्रिलोकीकंटकाख्यस्य / रावणस्येव जायते // 4 // किं चैवं प्रल- / पन् भूप / बंधोरपि न लजसे // दुर्गतिप्रतिरूपा-त्पापाद्यदि बिन्नेषि न // 5 // श्रुत्वेति चरित्र मौनमाधाय / राजाचालीखमंदिरं // गन्नर्चितयन्नूनं / साध्यं सेत्स्यति मे शनैः // 6 // श३१७/ नैर्जगम्यते मार्गे। शनैरेव फलंत्यगाः // शनैः सिध्यति साध्यानि / जुज्यतेऽपि शनैः शनैः // 7 // शनैर्नानाविधोपायैः। पूर्यतेऽयं मनोरथः // अस्याः पत्यो परं जीव-त्येतत्कतु न शक्यते // 7 // यतः-आस्वादितहिरदशोणितशोणिशोलां। संध्यारुणामिव वनस्थऋगा. धिपस्य // जॅनाविदारितमुखस्य मुखात्स्फुरंतीं / को हर्तुमिति नरः परिभूय दंष्ट्रां // ए॥ तन्मारयाम्युपायेन / कुमारं सारविक्रमं / पश्चादेना गृहीष्यामि / बलेन च बलेन च // ॥१०॥जणितश्च तया स्वाजि-प्रायो यत्त्वं न लजसे // बंधोरपि हते तस्मिन्ननं मा मादरिष्यति // 11 // इति क्षितिपतिः पापो / विचार्यानार्यमानसः // कुमारमारणोपायं / प. श्यन्नेवावतिष्टते // 15 // अथ सागरदत्तस्य / जीवश्युत्वा सुरालयात् // श्रीमन्मदनरेखाया / उदरांतरवातरत् // 13 // तस्मिन्नेव दणे सुता / सा स्वप्नेऽपश्यदंबरात् // संपूर्ण पूर्णिमा.. || .. -. + P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust