________________ चरित्रं दानाच्च गुणकीर्तनात् // सोपानानुक्रमात्प्रेमा-रोहति स्वांतमंदिरं // ए३ // एवं वित्रि / त्य चित्तांत-मनोरथनराधिपः // अंते मदनरेखायाः। प्राहिणोनिजभूतिकां // 4 // तया करितांबूल–वसनाचरणादिकं // तस्यै तदर्थ्यते नित्यं / शस्तं नोग्यं गिवस्तु यत् // // एए // ज्येष्टो ददाति व यतन्ननूचितमित्यसौ // समस्तमपि गृह्णाति / सत्यो हि सरलाशयाः // ए६ // युगबाहुकुमारेंडे-ऽन्यदोद्यानमुपागते // एकांते नूपतिर्गत्वा / तत्प्रियामित्यनाषत // एyn यदि प्रपद्यसे न / पुरुषत्वेन मां तदा // कुर्वे सर्वस्य राज्यस्य / खामिनी जीवितस्य च // ए // ऊचे मदनरेखापि / मयानंगी कृतेऽपि हि // स्त्रीत्वषंढत्वमुक्तस्य / पुरुषत्वं विधिय॑धात् // एए // युगबाहोस्तव चातुर्युवराजो गृहिण्यहं / स्वामिन्येवास्मि राज्यस्य / तहतु कः कमो नवेत् // 35 // जवतो जीवितव्यस्य / स्वामिनीत्वेन मे सृतं // अन्यायादत्त वित्तस्य / जीवितान्मरणं वरं // 1 // किंचान्यायं महाराज / स्वयं कर्तु स. मीहसे // को निवारयिता जावी / कुर्वतोऽन्यान् जनांस्ततः // // जीवघातान्मृषावादात् / परस्वहरणात्तथा // परस्त्रीकांदणाबोजा-जीवा गचंति दुर्गतिं // 3 // महतोऽप्यचिरान्मृ. CRIPAd..Gurpratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust