________________ A - sminaraincom - व्यलोकयत् // चंडाजस्तै सुतो जावी / नापि फलमृचिवान् // 2 // च्युत्वा जानुमतीजीवः / सप्तमाद्देवलोकतः॥ तस्या अवातरत्कुक्षौ / सुशुक्ताविव मौक्तिकं // 3 // सासूत समये सूनुं / चंद्रवच्चारुदर्शनं // दर्शनोखासकृन्मृति / स्पर्शनप्रीतिदप्रलं // 7 // स्वप्नाकारानुसारे. ण। पित्रा तस्य प्रतिष्ठितं // महांतमुत्सवं कृत्वा / नाम चंद्रयशा इति // 5 // स्नेहवत्सजनस्वांते / शुक्त पदे शशांकवत् // शनैरासादयन् वृद्धिं / क्रमात्प्राप स यौवनं // 6 // अन्यदा शुजरूपाप्त-रेखां लेखांगनाधिकां // संचरंती गृहे सादा-वक्ष्मी मिव मनोरमा // // दृष्ट्वा मदनरेखां तां / मदनातुरमानसः // मनोरथनृपोऽकार्षी-तत्संगममनोरथान // // युग्मं // तस्यां पूर्वजवाभ्यासा-दनुरागस्तथाजवत् // गम्यागम्य विनेदं हि ।न विवेद यथा नृपः॥ नए // अपार्थ मे सुखं राज्यं / जीवितं च तया विना // धन्योऽसौ बांधवो योऽस्या / मुखांबुजमधुवतः // ए // अपराः प्रवरा नार्यः / प्रचुराः संति यद्यपि // अगम्यासी तथाप्येतां / विना नान्यत्र मे रतिः // 1 // अस्ति कश्चिदुपायः स / संगो ये. नानया जवेत् // अज्ञातं प्रथमं कुर्वे / प्रेम दानादिनाऽनया // ए // आलापनात्समालोका P.P.AC. GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust