________________ - जिनदत्तो विनिर्ममे // श्रीचिंतामणिविद्याया। बलात्प्रासादमुत्तमं // 1 // कुमारं तत्र संस्थाप्य / स्वयं गत्वा पुरांतरं // सुशासननरेशस्य / सनायां सादरोऽविशत् // 7 // आसने च निवेश्यैनं / भूपोऽवक् पुरुषोत्तम // जवतोर्गतयोः पुत्री / निजमंदिरमासदत् // 3 // जलेनेव विना मत्स्यी / पुजेन चमरी च गौः॥ युगबाहुकुमारेण / विना सा व्याकुलाजनि // // शिशिरश्चांदनः सेकः / पवनश्च ससीकरः॥ पुष्पशय्यादयस्तस्याः / प्रत्युतोत्तापकारिणः // 5 // जवता प्रतिपन्नस्य / सिझेन च सशक्तिना // कुमारानयनस्यात्र / चिंता कापि कृता न वा // 76 // अथवा ह्यनेहसास्पेन / कथं सिष्यति तादृशं // बुजुक्षितानुरोधेन / पच्यते किमुदुंबरं // 7 // विहस्य जिनदत्तेना-नाणि देव मया कृतं // तव का. यं समानीतः / कुमारोऽस्याः पुरोतिके // // ससंज्रम ससंमोदं / मेदिनीशः स तत्क्षणं // तं सोत्सवं पुरस्यांत-रनिगम्य समानयत् // 7 // विवाहितः कुमारश्च / समं मदनरेखया // विसृष्टो भुजुजाचालीत् / कुमारः सपरिबदः // 7 // // सुदर्शनपुरखंगं / प्रविश्योत्सवपूर्वक // तस्थौ जोगान् स चुंजानः / साकं मदनरेखया // 1 // अन्यदा सुखसुप्ता सा / चं स्वप्ने P.P.AC.Ganratnasuri.MS.. Jun Gun Aaradhak Trust