________________ कुमारोऽथ / जिनदत्तोदितं वचः // श्रुत्वा सर्व जातजाति-स्मृतिः वनवमैक्षत // 60 // ऊंचे मदनरेखायां / जातरागो नरोत्तमः // जिनदत्त समस्तोऽयं / मदर्थ त्वपक्रमः // 6 // चरित्रं तन्मै विद्यामिमां देहि / साधयित्वा ददे यथा // ततश्च जिनदत्तेन / तस्मै विद्या समर्पिता // 65 // वह्निकुंमोपरिस्थस्य / शिक्ककस्यांतरे स्थितः॥ युगबाहुः कुमारेंद्रः / सत्ववानित्यचिंत. यत् // 63 // तथैव विहिते व्योमो-त्पपातोत्तमसाहसः॥ कुमारस्तत्वणं तस्य / प्रत्यक्षा देव्यजायत // 64 // नणिता तेन सिध्यख / देव्यस्य गुणशालिनः॥श्रेष्टिनो जिनदत्तस्य / तदर्थ साधित्तासि यत् // 65 // तयोक्तं वत्स सिकाहं / युवयोरुनयोरपि // महाप्रसाद इ. त्युक्ता / छान्यां सा स्वाश्रयं ययौ // 66 // महासादसिनं प्राप्य / सहायं तं कुमारकं // जिनदत्तस्तदा चिंता-मणि विद्यामसाधयत् // 6 // उक्तं च जिनदत्तेन / कुमार गगनाध्वना // श्रीअरिष्टपुरखेंगे। रंगद्गेऽथ गम्यते // 67 // वांडा मदनरेखायाः। सुशासनन पस्य च // पूर्यते मे प्रतिज्ञा च / त्वदानयनलहणा॥ ६ए // एवमस्त्विति जल्पित्वा / त|| तो विद्याबलादुलौ // कुमारो जिनदत्तश्चो-त्पतितौ व्योमममले // 70 // एत्यारिष्टपुरोपाते || PP.AC. GunratnasusiM.S. JustGun Aradhak Trust