________________ प्रत्येक 312 व्यसनापगम-वचनांबुदवर्षणात् // सुशासननृपो जझे / हर्ष बुनृतमानसः // 4 // तत्रागातावदेवास्य / पुरो वृत्तांतमादितः // दास्यो निवेदयामासुः / स च संतोषमाप्तवान् // 5 // सिझेनोक्तं महाराज / सुदर्शनपुरे पुरे // जिनदत्तो वसत्येष / तत्स्वरूपं च वेत्त्यसौ // 51 // ततो नरेंद्रपृष्टेन / मयावादि महीपते // आसीत्सुदर्शनपुरे / महावाहुर्महानृपः // 55 // तस्मिन् दिवं गते जझे-ऽधुना राजा मनोरथः // युवराजा लघुचाता / युगबाहुर्महागुणः॥ // 53 // राशावादि महाजाग। युगबाहुकुमारकः // अत्रानेयः खया पुत्र्या / विवाहं का. रये यथा // 54 // उमिति प्रतिपद्यो:-नायकस्य वचो मया // समं सिझेन चोत्पत्य / स्था. नकेऽत्र समागमं // 55 // आकाशगामिनी विद्या / चिंतामण्य निधामपि // मह्यं प्रदाय सिद्धः स / तत्साधन विधि जगौ // 56 // विद्यायां साध्यमानायां / जाव्यं सत्ववता त्वया // सिझे साध्ये चंद्रलेखा-पुत्र्याः साध्यं प्रयोजनं // 57 // अहं गबामि निर्मातुं / यात्रा नंदी. श्वरादिषु // एवं प्रदाय मे शिकां / सिहराजस्तत्तो ययौ // 50 // मया साधयितुं विद्या / प्रारब्धा व्योमगामिनी // अनेन विधिना दृष्टं / ततः सत्वं त्वयापि मे // 5 / / युगबाहुः / / PAC.Gunratnasun.M.S