________________ प्रत्येका चरित्र र्ण स्फुरत्तोरणं // 6 // सुवर्ण धनधान्यढ्यं / यद्यच्चेतोऽनिचिंतितं // चिंतामणिप्रनावेण / तसर्व तस्य सिध्यति // 7 // एतत्कथोपमानेन / संसारस्य शिवस्य च // स्वरूपं विद्यते तच्च। पद्मावति निशम्यतां // 6 // संसारो धनधान्याढ्यः / शून्यपत्तनसन्निनः // चतुर्मिविपिनैस्तुल्या-श्चतस्रो गतयो मताः // // वनेन दाक्षिणात्येन / सदृशी नारकी गतिः॥तत्र ये नारका जीवा-स्ते पुनर्मतकैः समाः // ए // रासीसहगस्त्येषा। संसारे मोहवासना // तस्यां मुह्यति यो मर्यो / मृत्युमामोत्यनेकशः // 1 // तान्यां सहोदराज्यां च / समाः सर्वेऽपि मानवाः // श्रीधर्मराजयदेण / समानः सद्गुरुः स्मृतः // ए // सप्ताहोरात्रस.. दृशे / मनुष्यायुः प्रकीर्तितं // आश्रयः श्रेय श्वनि-स्तस्मिम् सत्येव सद्गुरौं / ए३ // चिं. तामणिसमः सम्यक् / चारित्रं धर्म उच्यते // श्रीपुरेण श्रियां धाम्ना / सदृदो मोद ईष्यते // एच // यः श्रयेत न मूढात्मा / मोहवासनयानया // गुरुं हितगिरं सोऽयं / सहते नरकेष्वशं // 5 // आश्रित्यापि गुरुं चित्ते / संदेहं कुरुते मनाक् // अधौ निपतितः सन् स / शोचतेऽनंगसेनवत् // ए६ // गुरुमाश्रित्य वामादी-कटादेयों न विद्यते // द्वाविंशत्युपसः || P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust