________________ वारा मसाधयत् // 6 // चिंतामणिप्रनावेण / सुरणत्किंकिणीरवं // अमूख्यरत्नखचितं / दीप्यमानं दिनेशवत् // 7 // अवतीर्णमिव स्वर्गाद् / ध्वजवजविराजितं // दिव्यं विमानमानंदि। वांबामात्रादवांप सः॥ 7 // युग्मं // तत्र सिंहासनासीनः। स तस्थौ देवराजवत् // चामरिरमरीनिश्च / वीज्यमानो निरंतरं // ए ॥उतिबनरोचिष्णु-रलंकारैरलंकृतः॥देवतागीतगीतानि / शृण्वन् पश्यंश्च नाटकं // // श्रीपुरे नगरे गछ / हे विमानेति चिंतनात // चचाल दिवि तळेगा-नासुरं सूबिंबवत् // 1 // अचिरेण समायातं / विमान श्रीपुरोपरि // विधाकृततनु नु-वृहन्नानुः किमेष वा // 2 // तिर्यग्याति दिनाधीश / उध्वं वा ज्वलनो ज्वलेत् // पतत्येतत्पुनज्योति-स्तदेतत्किं विचार्यते // 3 // इतीक्षमाणं साश्चर्यमुन्मुख गरैजनैः // धन्यस्य श्रेष्टिना श्रेष्ट-स्योत्ततार ग्रहांगणे // 4 // त्रिनिर्विशेषकं // | धन्योऽयं धन्य एवाया-निधानेन गुणेन च // विमानागमनाइन्यो / जनैरिति ततः स्तुतः // 5 // उत्तीयोजितसेन आदरजरात्तस्माद्विमानात्वयं / श्रीतातापियोरुहे ब्रमरवक्त्या || सिवे ध्रुव // माताप्याप परां मुदं सुरसमं दृष्ट्वा निज नंदनं / इंगं रंगरण पूर्णमनवत्तु %E . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust