________________ / टीचक्रे / कृत्या रूपं स्खलावजं // करे यासीति जल्पाका / धावंती सा स्वरातुरा // 67 // || बुद्धदावामकुतिश्चा-दृट्टहास्यानि कुर्वती // प्रसारितकरायसी-च्यामला मुक्तलालका // . चरित्र // 6 // तमिहत्सकलत्कारां / दरअधिरशोणिता // जीपणां यमजिह्वाव-दधाना क्षुरिकां करे // ६ए // त्रिनिर्विशेषकं // तथाप्यजितसेनस्य / मनः कुब्धं न किंचन // वजं किं शक्यते नेतुं / वारिणा वह्निनापि वा // 70 // सा निष्फलप्रयासाथ / जगाम यमदिग्वने // अनंगसेनं साक्रंदं / जघान धनानिर्दया // 31 ॥केमेणा जितसेनं तं / महासाहसिनं क्रमात् // यदराजः समादाया-यातोऽसौ जनसद्मनि // 5 // निस्तुलं साहसं तस्य / ज्ञात्वा यतोऽनुरंजितः // आविश्चक्रे निजं रूपं / चलतुंमलमंगलः // 73 // सोऽवादीतं प्रसन्नोऽस्मिायाचख त्वं यथेप्सितं // अद्य यावन्मयान्यो नो। कोऽपि दृष्टो जवाहशः // 13 // विश्याजितसेनस्तं / चिंतामणिमयाचत // सर्वे सिध्ध्यंति येनार्था-स्तदिति विचक्षणाः॥ // // अथ प्रसन्नचित्तः स / तस्मै वांतिपूरकं // श्रीमचिंतामणिं दत्वा / यवराजस्तिरो|| दघे // 45 // उपवासत्रयं कृत्वा--जितसेनः सुरार्पितं // चंदनादिमिरज्ययं / चिंतामणि PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust