________________ प्रत्येक 306 किमेवं नृपसंमतां // 3 // मुक्त्वैतां भूपतेरंतं / समागबान्यथा पुनः॥ बध्ध्वा बलेन ने // व्यामो / भूपादेशोऽस्त्ययं हि नः // // स आह साहसाधारो। मयेयं तस्करी खरी // कृता विघ्बयाम्येनां / स्वापराधविधायिनी // 5 // श्मा नाहं विमोदयामि / पदमस्याः करोति यः॥ स समायातु तस्यापि / शिक्षा दातुं नमोऽस्म्यहं // 6 // इत्युक्ते कुपितस्वाताः / कृतांता व नीषणाः // दुढाकिरे प्रहर्तु त-मुदस्खा राजपूरुषाः // 7 // सोऽपि चंडेन दंडेन / खंम्यामास खंमशः // एकेनापि प्रहारेण / पातयन् शतशो नटान् // 7 // अथ ध्वस्ताः परे सर्वे / त्रस्ता गत्वा न्यवेदयन् // नृपाय सोऽपि सेनान्य-माज्ञापयति तंप्रति // ए // . सगत्वैकांतवीरेण ।कुमारेण समं चिरं // विधाय विविधं युकं / दणनग्नः पलायितः॥ ए॥ तद् ज्ञात्वा भूपतिस्तत्र / समागादिस्मिताशयः // तावत्कुमारभस्तावी-उपलक्ष्येति मागधः // ए१ // नरविक्रमराजेंड-कुलांतोनिधिचंद्रमाः // त्रिविक्रमकुमारेंद्र / जय त्वं जगतीतले // ए // इति श्रुत्वा नृपोऽवादी-न्मातुलो निस्तुलप्रनः // नरविक्रमभूपो मे। बांधवोऽयं त्रिविक्रमः // ए३ // इत्युक्त्वागत्य भूषाल / आलिंगकंगकंदलं // तवातिथिविधिर्चात-र- , -P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak ist