________________ र कामितदाः दणात् // 7 // अई सुमनसामासां / प्रनावाजगनाध्वना // सुखेनैव समाया- / / तो-ऽर्थ्यते यत्तद्ददंत्यमूः // 73 // विधाय मनसा वांगं / पुष्पाण्येतानि जिघ्रति // यः स चर // सर्व समाप्नोति / तत्क्षणं नात्र संशयः // 4 // निवेदितं तवाग्रेऽदो / रहस्यं परमं मया // 305 | अवश्यम अवश्यमपरस्याग्रे / नैव कथ्यं कथंचन // 55 // कुहिनी प्राह वृद्वत्वं / देहदीतिहरं दर // आघाप्य निजपुष्पाणि / तारुण्यं मे समानय // 76 // एवम स्त्विति जदिपत्वा / गंदनत्वकराणि सः॥ आघ्राप्य कुसुमान्याशु / कुट्टिनी गर्दनी व्यधात् // 7 // निवड्य रज्जुना बाढ-मारुह्यासह्य विक्रमः // तामयन् दृढदंडेन / कुमारो निर्ययौ र हात् // 7 // दृष्ट्वा ततादृशं वेश्या-वर्गस्तत्राखिलोऽमिलत् // ऊंचे रतिविलासाग्रे / गत्वा राझे निवेदय // 7 // यथासौ मोचयत्यकां / पीड्यमानां नरादितः // ऊचे सा सहतामेषा / स्वपुःकर्मसमं फलं // // ततो विलासिनीवर्गः / समग्रो नूपमन्यधात् // स्वामिन्नस्माकमकैका / पुंसकेन ख. रीकृता // 1 // अस्त्यसौ दमघातेन / कुट्टयन् कुटिनी खरीं // कृपां कृत्वा नृपैतस्मा-हिमोचय वराकिनी // 72 // राज्ञादिष्टाः पुमांसोऽथ / गत्वावोचस्त्रिविक्रम // अरे विमंबयस्येवं / P.P.AC.Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust