________________ चरित्रं पादायंगेषु सर्वतः // 61 // बध्ध्वा पट्टान् स्खलत्पादा / समागत्येत्यनापत ॥स्वागतं मम जा- // मातुः / कथमागा विपादुकः // 6 // तदा त्वयि गते मध्यं / पाउकारक्षणाधिनी // स्थिताई जवनझारे / रत्नं यत्नाकि रक्ष्यते // 63 // तावदेकः समायोत-स्तत्र विद्याधरः परः // हत्वा मां लकुटाघातैः / पादुके ते जहार सः // 6 // बाहुदंझममुंचतीं / स्फारपूत्कारकारि णी // मामुपादाय विद्या-दुत्पपात नजस्तलं // 65 // सोऽत्रागत्य बलोन्मत्तो / मम बाहुम मोचयत् ॥.गतः क्वचित्त नूपीछे / पतिताहं निराश्रया // 66 // पतत्या मम जग्नानि / पा दाद्यंगानि सर्वतः // कथंचिद्गृहमायाता / दुःखंत्यद्याप्यमून्यहो // 67 // कुमारः प्राह विझाय / सर्व कपटचेष्टितं // अद्याप्यंग न जग्नं य-दंतास्ते नापतन्नमी // 6 ॥अकयोक्तमलं जद्र / वचनेनामुना तव // त्वां विना कुःखितां किं मे / दुहितारं न पश्यसि // 6 // // अ. नया त्वहियोगेना-हारो हारोऽप्यमुच्यत // वद स्वागमवृत्तांतं / तदस्याः सुखदेतवे // // Sn || ततः कुमार आचष्ट / दिवत्रयसमार्चतः॥ एकध्यानात्समारामः / प्रसन्नोऽन्मयि स्मरः // 31 // स्वशीर्षतः समुत्तार्य / प्रत्यक्षीय भूयसा // श्माः सुमनसो दत्ताः / कामं - Ad Gunatrasun un Gun Aaradna Trust: ॐ