________________ damasomonilsab वोऽयं मया कृतः // ए४ // अपराधं कमस्वैनं / न दोषो यदजानतः॥ वदैतया वरा किन्या। कोऽपराधः कृतस्तव // ए // इत्युक्ते नूजुजा प्राह / कुमारः स्फारसाहसः // अनयादन. या देव / पाके मे हृते इति // ए६ // स्वनावस्था मिमां नउँ / त्वं विधेहि विधेयवित् // यथा यथोचितां शिक्षा / करोम्यानाय्य पदुके // 7 // एवं जपति नूपाले। स्वनावस्थाथ सा कृता // कुमारेण समाघाप्य / पुष्पाण्यपरशाखिनः // ए // राज्ञा जनेच्य ादिष्टमरे निर्वासयंत्विमां // गृहसर्वखमादाय / बित्वा कर्णौ च नाशिके // एए // ततः सा कंपमानांगी। समानीय स्वमंदिरात् // पाउके ते कुमाराग्रे-ऽमुंचत्पादौ ननाम च // 20 // स्वपादुके समादाय / सोऽप्युत्पन्नकृपो नृपात् // अमोचयत्कुहिनी तां / संतो हि दुःस्थवत्सलाः॥१॥ आमंत्रितः श्रीजयमंगलेन / राज्ञा स शृएवन् जयमंगलानि // आरुह्य तुंगं परमं तुरंगं / रंगन्नरेंञालयमाजगाम ॥२॥राज्ञा विहितसन्मानः / समं रतिविलासया // कुर्वन् रतिविलासान् स / तस्थौ तत्र सुखान्वितः // 3 // गत्वैकांते फटत्कृत्य / स्वां कंधांप्र. तिवासरं // दीनाराणां सहस्रं स / लब्ध्वा दानं ददौ सदा // 4 // भूपो रतिविलासां ता P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust