________________ का तस्के -ऽस्मानिरागत्य लाघवात् // तजगत्त्रयसारानं / वस्तुत्रयमुपाददे // 17 // गृह्यतेऽदो विजज्येति / नान्यो विजजतां सतां // अंगो मिलति चत्वारो / वयं वस्तुत्रयं ह्यदः // 15 // चरित्र श्राकाराबदयसे दक्ष-स्त्वं जो पुरुषसत्तमः // आदाय स्वयमस्मभ्यं / विनज्य दिश सांप्र३०० | तं // 20 // कुमारायानिधायेति / चौरा वस्तुत्रयं ददुः // पाउके पादयोः क्षिप्ते / लकुटश्चा ददे करे // 1 // कंथा परिदधे चके / हुंकारो नृपसूनुना // जग्मे च तेषु पश्यत्सु / सवि. षादेषु पुष्करं // 22 // यागातिविलासाया / वेश्मोपरितनवणे // क्षणास्त्रिविक्रमः साथ / दृष्ट्वा तं हृष्टहजगौ // 23 // स्वामिन् गगनचारित्वं / संजातं जवतः कुतः॥ कुमारश्चौरवृत्तां. तं / समस्तं तं न्यवेदयत् // 23 // तत्राययौ दणादका / तमपृढच्च विस्मिता // न त्वं कथमायातो / न दृष्टः प्रविशन् मया // 24 // तेनोक्तं त्वादृशामक्के / धनिबदृशां ननु // || . अस्मादृशा दृशोर्मार्ग / कथमायांति निर्धनाः // 25 // तयाथ माययावाचि / समायमवलोक्य तं // गुणावर्जितभूपृष्ट / ममेष्टोऽसि खमेव हि // 26 // परं सत्यमिदं ब्रूहि / कथमागतवान् नवान् // ततो रंजितचित्तेन / तेन सत्यं निवेदितं // 7 // अथान्यदा कुहिनी सा They APP.AC.Guritatnasun M.S.