________________ वोचकपटपंमिता // प्रासादः सिंहलद्वीपे / कामदेवस्य विद्यते // 27 // कामितान्यमिता न्येष / जतांगिन्यः प्रयवति // यात्रा तत्र मयामानि / त्वदागमकृते कृतिन् // 2 // तचरित्रं नद्र पापुकारूढो / मां गृहीत्वा कणादपि // तत्र यात्रां विधाय त्वं / समागळेः खमंदिरं | // 30 // कुमारः सरलः शांत-स्तां समादाय पाणिना // उत्पत्य पापुकारूढः / काममंदिरमासदत // 31 // विमुक्तपादुको छारे / कुमारो जवनांतरे // पश्यश्चित्रं प्रविश्यांत-ननाम मकरध्वज // 35 // पादुके पादयोः क्षिप्त्वा / कुहिनी तावदेव सा // उत्पत्य व्योममार्गेपण / कणावपुरमाययौ // 33 // हृष्टा सा मंदिरं प्राप्ता / पृष्टा रतिविलासया कुमारो दृ. श्यते किं नो / मन्मनोबुधिचंजमाः // 34 // मन्ये तत्पादुके हृत्वा। जगईंचनतत्परे // अरे समागतासि वं / वंचयित्वा मम प्रियं // 35 // तयोक्तं पुत्रि मे अव्यं / प्रचुर तेन लक्षितं // पादुकाहितयादानात् / किमेवं हृदि पीड्यसे ॥३६॥सकोपयान्यदावादि। तया यातु क्षयं धनं // निःकृष्टा कुक्कुरीतोऽपि / उष्टे त्वमसि लोनिनि // 3 // पिशुनस्य शुनश्चापि / दृश्यते। महदतरं // पोषकेन नषत्येको / परस्तु सकलेष्वपि // 30 // एवमुक्तेऽक्या प्रापि। चित्ते | PP.AC. Gunratnasuri M.S: Jun Gun Aaradhak Trust