________________ चरित्र नमः // ए४ // वेश्या रतिविलासाख्या / तत्र सर्वकलास्पदं // आसीनिःसीमरूपत्वाछाम-1 नेत्राशिरोमणिः // एवं // श्तो गजपुरे राजा / नरविक्रम इत्यभूत् // त्रिविक्रमः सुतस्तस्य / जझे परमविक्रमः / ए६ // सोऽन्यदा शरणायात-मरदच्चौरमातुरं // अपराधात्ततस्तातः। कुमारं निरकाशयत् // ए // क्रमात् त्रिविक्रमो जाम्यन् / श्रीमंगलपुरे ययों // वेश्यां रतिविलास ता-मपश्यत्तत्र सोऽन्यदा // ए७ // हृतचित्तः प्रविश्यांत-स्तया जातानुरागया // झुंजानो विषयान्नाना-विधांस्तस्थौ यथासुखं // एए // अन्यदा कुहिनी प्राह / प्रसुते नृपनंदने // वत्से विसर्जयैनं द्राक् / सुरूपमपि निर्धनं // 100 // वेश्यानां सदने मान्यो / धनवानेव मानवः // कुशलो नो कुलीनो भो / न कलावान रूपवान् // 1 // अथो रतिविलासाह / मातमें गुणिनामुना // हृतं चित्तं च तेनाहं / रमिष्ये नापरेण हि // 5 // अनिग्रहो मयाना हि / यत्पतिमेंऽयमेव हि // अथान्ये धनवंतोऽपि / पुमांसः सोदरोपमाः // 3 // सको. पयाकया प्रोचें / मुग्धे किमिदमभ्यधाः // नात्मगेहेऽयमाचारो / वेश्या हि नगरांगना // 3 // / मायया कथ्यतेऽप्येत-दवलोक्य निर्धनं जनं / किमनेन दरिजेणारंजितेनापि साध्यते // 5 // P.P.AC.Survatmasuri MS.. . Jun Sun Aaradhak Trus