________________ प्रत्येक चरित्रं नदेव्यंही / सेवमानात्र तिष्ठति // 3 // तदिदं सकलं वृत्तं / गदितं जवतों यतः // अथो / सत्पुरुषैतस्या / उपकारं त्वमाचर // 4 // इत्याकर्ण्य समुत्पन्न-करुणो सिकपूरुषः // अस्मार्षीत्तत्क्षणं चिंता-मणिविद्यामवद्यजित् // 5 // तदधिष्टायिका देवी / दुग्धभृनाजना. न्विता // तदपाययदेतस्याः / खन्नावस्थाथ साजनि // 6 // राजांगजां स्वरूपस्थां / तो हष्ट्वा हृष्टमानसाः // तुष्टुवुः पार्श्ववर्तिन्यो / दास्यः सर्वाः स्मिताननाः // 7 // अथ शासनदेवी सा / प्रत्यक्षीनूयं भूयसीं // स्तुति चक्रे सिद्धपुंस-स्ततस्तां प्रणनाम सः // // ऊचे कृतांजलिदेवि / प्रसादोऽयं तवैव मे // परं परममाश्चर्य-मेतन्मानसमंतरा // नए // यदस्यास्तव पादाब्ज-सेविकाया अपीहशी // कथमापदियं चके। परिव्राजकयानया ॥ए॥ अथ शासनदेव्यूचे / जज्ञेयं नवितव्यता // देवैर्देवाधिदेवैर्वा / निराकर्तुं न शक्यते // 1 // अनयार्जितमासीय-कर्म तत्फलमित्यनूत् // गलिते सांप्रतं पापे / मयानीतो जवानिह. // ए२ // प्रणम्य सिफाचष्टा-नया पूर्वनवे कृतं // किं नामैतादृशं कर्म / प्रसद्यैतत्प्रकाशय // ए३॥ देव्यथो वक्तुमारेने / श्रीमंगलपुरेपुरे // जयमंगलराजाभू-प्रभूततमविक्र Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.