________________ प्रत्येक छिनाक् // 61 // अथो पुनरपि दौण्यां / पश्यंतौ कुतुकावली // एकनावामपश्यावः / पुरो द्याने जिनालयं // 6 // तत्र प्रविश्य दृष्टा श्री-पाश्वेशमूर्तिरुत्तमा // श्रीमहासनदेव्याश्च। प्रतिमान्या तदंतिके // 63 // तस्याः पुरो विष्टरस्था / कुर्कउँका विवे किनी // योगिनीवाच. लदृष्टि-दृष्टिगोचरमागमत् // 64 // चंदनालिप्तसर्वांगीं / वीजयंतिम तां स्त्रियः // तास्वेका| पछि सिझेन / जडे किमिदमद्भुतं // 65 // सा प्राह कथ्यते दुःखं / तस्याये दुःखितोऽस्ति यः॥ उक्ते फुःखे नवेद्यो वा / दुःखमुहर्तुमीश्वरः // 66 // त्वं चाकारेण सारेण / लयसे सर्वकार्यकृत् / अतस्तवाग्रतो / वृत्तमेतन्निरूप्यते // 67 // अत्रारिष्टपुराख्याने / नगरे / ऽतिगरीयसि // सुशासनो नरेशोऽस्ति / पाकशासनशासनः // 6 // तद्राझी चंद्रलेखेति। चंद्रलेखेवं निर्मला // पुत्री मदनरेखास्याः। प्राप्तरेखा सतीषु या ॥६ए // लीलान्यस्तकला रूप-शालिनी गुणमालिनी // गुरूपांतश्रुतजैन-धर्ममर्मपरायणा // 70 // युग्मं // दं श्रीपार्श्वनाथस्य / भूमिनायेन मंदिरं // कारितं शासनदेव्याः / प्रतिमेयं च जक्तितः // 7 // || जोक्ष्ये जिनार्चनं कृत्वा प्रत्यहं नक्तिनागहं॥जग्राहानियहमिति / गुरूपांते नृपात्मजा // 7 // PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust