________________ Saal यान्यदा पुनः प्रोक्तं / पुष्करं गोचराटनं // तेनोक्तं जक्तपानादि / तवानिष्येऽहमेव हि // // 51 // शीतं मे लगतीत्युक्ते / स खप्रावरणान्यदात् // पुष्यंति तात मेऽस्थीनी-त्युक्ते संस्तारकान्यदात् // 55 // लोचं कारयितुं नाहं / शक्त इत्युक्तवत्यपि // पिता कतरिकाहश्एच स्तश्चक्रे मन्मुंभमुंमनं // 53 // अथो कथंचिदाश्रित्य / निर्लजात्वं पितुः पुरः॥ प्रोक्तं शक्नोमि न स्थातु-मेकयांगनया विना // 54 // अयोग्य इति तातो मां / तर्जयित्वातिरोष| तः॥ रजोहरणघातेनो-पाश्रयान्निरकाशयत् // 55 // अव्यक्तवेषनृत्यक्त-साधुवेषो ब्रमन्नई // आकाशगामिनीचिंता-मणिविद्ये असाधयं // 56 // ते विये सुगुरूपांते / सिद्धांतं पठता श्रुते // सारभूते मया तत्र / साधनासुविधिः श्रुतः // 7 // तेनैव विधिनाराके / सिके ते जत्तमे मम // तयोर्यथेप्सितं कामान् / लन्नेऽहं चंक्रमीमि च // 50 // मया त्यक्तेऽपि चारित्रे। ॥सम्यक्त्वं नैव मुच्यते // अपि सिध्यंत्यचारित्रा / न पुनः दर्शनोनिताः // एए // इति - श्चरितं जद्र / नवतः पुरतो मया // आत्मीयं प्रकटीचक्रे / बांधवान्यधिकोऽसि यत् // 6 // इति सिसोदितं श्रुत्वा / मयोक्तं जिनशासनं ॥धन्यं यस्यैकदेशक-स्त्वमीहसिकसि Jun Gun Aaradhak at P.P.AC. SunratnasuriM.S.