________________ / व्यायां / नीत्वा निमासुखं दणं // सिको हुँकारमात्रैण | प्रासादं ते व्यसर्जयत् // 40 // मामादाय खमुत्पत्य / स चचार घनी महीं॥सायं हुंकारमात्रेण / जूयः प्रासादमानयत् // 41 // चरित्रं उजौ प्रविश्य तस्यांतः / शय्यामाश्रित्य शोजनां // जुंजानौ विषयान् देवां-गनानिः सुंद संगीजिः // 42 // अपि वाहितवंतौ तां / निशां सर्वा निमेषवत् // विससर्ज पुनः प्रातः / प्रासादं सिद्धपुरुषः // 43 // एवं प्रतिदिनं कुर्वन् / मया पृष्टः स सादरं // महापुरुष कोऽसि त्वं / कुतः सिकिस्तवेदशी // 44 // सोऽपि संजातसौहार्दो / वक्तुमारब्धवानिति // साधमिकोऽसि यत्तस्मा-त्सर्वं ते कथ्यते पुरः // 45 // श्रीपार्श्वनाथतीर्थेश-तीर्थे केशीगणाधिपः // विहरन् पृथिवीपीठे / वसंतपुरमाययौ // 46 // तत्र मे जनको धन्य-श्रेष्टी व्रतमु. पाददे // बालको जनकस्नेहा-दहमप्यात्तवान् व्रतं // 4 // पठन् गुणन् गुरूपांते / संप्राप्त यौवनं वयः // तत्र चारितरत्नं मे / जहार रततस्करः // 4 // चारित्रमुचनोपायां-श्चितयंस्तातमूचिवान् // चारित्रं चरितुं तात / न शक्नोमि करोमि किं. // 4 // अन्यचत्त तत| स्तातो। यथाशक्ति तपः कुरु // मुंदवैकवारं विस्त्रिर्वा / कष्टं किमपि मा कृथाः // 50 ॥म Jun Gun Aaradhak Trust * P.P. Ac. Gunratnasuri M.S ,