________________ का यानांतरे चिंता-तुरोऽहं कातरांतरः // महांतमेकमंद्रादी / विद्यासिहं कृपापरं // श्ए // तेना- || हि च वात्सल्य-पिलखबचैतसा // वत्स विछायवत्कस्त्वं / कुतः क प्रस्थितोऽसि का || ||3 // दयानुरिति तस्याये / खरूपं सर्वमात्मनः // श्रवदं सोऽपि संजात-करुणो मामए दीवदत् / / वत्सागड मया साकं / पूरयिष्यामि ते मतं / मयापि साहसं धृत्वा / प्र पन्न तस्य तचः // 32 // संचरन् पादचारेणं / गतो यात्कियचिरं // तेन साधं स तावन्मा"मादायोत्पतितो नलः // 33 // पक्षीवं संचरन व्योनि / कौतुकानि विलोकयन् // जोजनावसरे प्रात / इदमुद्यानमासदत् // 34 // तस्य संसिझविद्यस्य / तत्र हुंकारमात्रतः में प्रापुर्बभूव प्रासादों / मनोमृगपदार्थनृत् / / 35 // सम तेन प्रविश्यांतः। प्रासादं विहितादरं // मनोरममहेलानां / हस्तास्नानादि लब्धवान् // 36 // सिद्धोऽपि विहितस्नानो / दे. वष्यविभूषितः / / पूजौपंचारनृत्पाणि- जैननाथमपूजयत् // 3 // सहैव तेन जक्त्याहमपि देवार्चनं व्यधा // सुधान्यधिकमाधुर्य-वयंजोज्यान्युपाययुः // 30 // यथे जोजनं ते / बाँ। कृतवतावुनावपि // सुरांगनावीज्यमान-चौमरावमसंविव // 3 // // वर्णमय्यां सुश- || PP-AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust