________________ चरित्रं वहत्यसौ // 57 // एवं रामे धरत्यंत-रूचतुस्तौ सुरहिजो // अरिष्टं नावि शृणु जो। ततः / / चिंता कुरुष्व च // 55 // उच्यतामिति रामेण / प्रोक्त तावूचतुर्पुनः // आशूत्तरस्या दिशो. ऽस्या / अनमत्र समेष्यति // 60 // मुशलाधिकधारानि-रत्र वर्षिष्यति क्षितौ // तत्ततः सकलो देशो। जलराशी भविष्यति // 61 // तावदेवोत्तराशाया। एकमत्रं समुद्ययौ // थारुरोहाचिराट्योम / लोक्यमानं सजाजनैः // 6 // तद् वृष्टिं कर्तुमारेने / समागत्य पुरो सतः परं // प्लावितं नीरपूरेण / ततो वृक्षग्रहादिकं // 64 // पतंतीविपणिश्रेणी-ज्रस्यतस्त्र. स्यतस्तथा // महातीर्गजराजीश्च / तुरगान् मरणातुरान् // 65 // कलकलकरान् लोकान् / बालानाकंदकारिणः // नीरपूराहतानेवं / रामोऽद्राक्षीत्सदःस्थितः // 66 // युग्मं // उपरिष्टान्महावृष्ट्या / वर्धमानांजसा क्रमात् // कासारांतरवत्तूर्ण / व्यानशे तत्सनांतरं // 6 // हरिदेवं तमारोप्य / स्कंधे रामः ससंघ्रमः // रुरोहं निजावास-स्यैकविंशं दणादणं // | // 6 // अंतःपुरं पुरं सर्वं / बुमद् दुःखजरातुरं // रामः कृपापरः काम-मनास्तत्र व्यलो. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust