________________ प्रत्येकी वीविशत् // 4 // षण्मास्यतेऽन्यदा तत्र / गायनाः समुपाययुः // आसने हरिमारोप्य / स तैर्गीतात्यगापयत् // 3 // अत्रांतरेऽवधिज्ञाना-पितृव्या खिलवेष्टितं // हरिषेणात्मजा माचौ / देवावेतदपश्यतां // भए // पितृव्यप्रतिबोधाय / तो देवी देवलोकतः // विप्ररूपध२०५ रौ क्षिप्रं / समेतो. तत्सलांतरे // 50 // जायमाने गीतमाने / निश्चले निखिले जने // उच्चैस्ताचूचतुर्विी / स्यनंगकर वाचः // 51 // आवामतींधियज्ञान-शालिनी समुपागत्तौ ॥४ष्ट्वा किंचिदिहारिष्टं / महाराज त्वदंतिके // 55 // रामोऽवददरिष्टं किं / वित्तीय अविता पु. नः // एकं तावत्पुराप्यस्ति / बांधवो यन्न जल्पति // 53 // तावूचतुर्न ते नाता / त्वयैव सह जम्पति // यथेचं :सममावान्यां मानावार्ताः करोत्यसौं। 55 // समोऽवग्घटते नैत -दाबाठ्यादपि लालितः // जीवित्तान्यधिकः साकं / न जम्पन्नस्ति यो मया // 55 // कथं सोऽझाष्टसर्वाच्यां / युवान्यां सह जल्पतिः॥मावूचतुझास्यतेऽदः / सांप्रतं प्रत्यये सति // 56 // इत्युक्त्वा हरिदेहं त-मधिष्टाय हिजाकुसौरव्यवत्ता विविध वार्ताः / सप्रीति हरिणा सह // 5 // तद् दृष्ट्वा चिंतयखामो। विग्धिरमोहमनर्तुकं // एकपको वृथा स्नेही ।मम देहे || // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust