________________ वेकाश्रयवतोः // 25 // ध्यानकतानचित्तत्वा-त्किंचिद् दुःखमजानतोः // तयोदिनत्रयाते || sकस्मान्मूय॑पतत्तमित् // 26 // यथा यथादहदेहं / विद्युचह्निस्तयोर्बहिः // ध्यानामिः / कर्मकाष्टानि / दांति च तथांतरा // 27 // क्षणानिर्दग्धसागौ। मृत्वा ताविंद्रसन्निनौ // 203 | महाशुक्रदेवलोके / देवी जातौ महर्डिकौ // // पतिभ्यां सममेवात्त-प्रवज्ये ते प्रिये उन्ने // चंद्रमतीचानुमत्यौ / मृत्वा पूर्णायुषौ-सुखं // श्ए // तयोर्वयस्यनावेन / महाशुक्रे सुराल. ये // तस्मिन्नेव विमाने ते / देवौ जातौ महर्डिकौ // 30 // युग्मं // श्तश्च रामसेनाये / ह॥रिषेणनरेश्वरः // अकस्माबूलरोगेण / मृतोऽयेति जगुर्जनाः // 31 // वजेणेवाहतस्तेन / वा. क्येन पृथिवीतले // पपात मूर्छितो रामः कथंचिच्चाप चेतना // 3 // तदंते प्राप्य पतितं / निश्चेष्टं काष्टवद्धवि // तं दृष्ट्वा कुट्टयन् वदों / विललापेति दुःखितः // 33 // हा ब्रातः किमिदं जातं / कावस्थेयं तवेशी // त्वां विना न कणं राम-स्तिष्टतीत्यवगसि // 3 // तन्मां विहाय हा बंधो / कुत्र त्वं सांप्रतं गतः // हा विधे यद्ययं नीतः। किं नो नयसि मामपि // 35 // सदैव जोजनस्नान-स्थानास्थानादिकं मया // कुरुषे सर्वदेकाकी / सांप्रतं किः | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust . .