________________ चरित्र नरेश्वरौ // हरिषेणनृपस्यायु-निजं चायुरपृचतां // 15 // ततो मुनिवरः प्राह / हरिषेण / / पश्चिरं // जुक्त्वेमां पृथिवीं प्राप / पृथिवीं नरकांतिमां // 16 // दिनत्रयमानमायु युवयोरवशिष्यते // कालो हि सकलग्रासी / निश्चितं किमिदं जगत् // 17 // इत्याकर्ण्य शोकजीति-व्याकुलौ तौ बनूवतुः॥ तातमृत्योरभृलोको / स्वमृत्योश्च जयं महत् // 27 // वेपमा. नशरीरौ तौ / सागरदेवदत्तकौ // ऊचतुर्जगवन् जावी / निस्तारः कथमावयोः // 15 // पु. नर्मुनिवरः प्राह / साध्यते साध्यमुत्तमौ // क्षणमात्रेण युवयो-रायुश्चास्ति दिनत्रयं // 20 // तत्सत्वरं व्रतं जैनं / गृहीतं निर्वृतिप्रदं // जयशोको न कर्तव्यो / तान्यां किं नाम सिध्यति // 1 // इति श्रुत्वा समुत्थाय / पुरं गत्वा निजं निजं // समारोपयतां राज्ये / स्वं स्वं नं. दनमादिमं // 5 // विधाय बंदिनां मोद-मुद्योत्य जिनशासनं // एत्य भूत्या महत्या तो / मुनेराददतुव्रतं // 3 // तत्कणं गुरुपादांते। गृहीत्वानशनं मुनी // महारण्ये गतौ कायो सर्ग विदधनुश्च तौ // 24 // तयोः शुक्लध्यानानलकलमनोवृत्तिविलस-बकव्या नैकव्यान्न // जयमकरोलीतनिकरः // न लापः सीतापं शमरसरसाप्लाविवपुषो-न वर्षोत्कर्षों वा वरतरवि- / PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust