________________ चरित्र देव // चंद्रिका मित्र मोदिनीं // समुददत्ता सोझासा / वेलाको स्विाजवत् // 5 // संक्षा पुरस्य सा- // ॥म्राज्यं / हरिषेणनृपोऽन्यदा // दत्वा सागरदेवाय / प्राहिणोत्तत्र पत्तने // 6 // तत्र सागर देवोऽथ / सुखं राज्यं चिरं व्यधात् // तथा सागरदतोऽपि / श्रीवर्वजपुरे स्थितः // 7 // उन्नयोर्बुजतोोगान् / भूयानपि निमेषवत् // कालो जगामः परम-सौख्यसेतैतिनों जिनोः // 7 // जातुः सागरदेवस्य / मिखनायान्यदोत्सुकः॥ आगात्सीगरदत्त से। क्षणाद्विद्याधरेश्वरः // | // ए॥ तो जिन्नौ देहमात्रेण / प्रीतिमंतौ परस्परं // अतिष्ठितां सलक्ष्मी के लक्ष्मीपुरप्पुरे चिरं // 10 // श्तश्च नृपतिर्यद-पुरे राज्यं प्रियध्वजः॥चिरै प्रपोख्य प्रावॉजी-धर्मसागरसनिधौ // 11 // उत्पन्नकेवलज्ञानो / विकीन् जुर्वि बोधयन् // संक्ष्मीपुरवनस्यांतः / स मुनिः समवासरत् // 15 // विज्ञप्ती वनपाखेंना वनीपालौ समेत्य तौ // अवैदेतां महालक्त्या / | मुनिश्चक्के च देशनां // 13 // जो जव्या जवरूपकूपपतिता मोहधिकारावृता / निश्चिंता वि. षयादिसौख्यसलिलास्वादेन जाताः कुतः // एतं पश्यय किं न मूत्युजुजर्ग व्यात्तानने पार्श्वगं.। तस्माधरणाम जिनमतं रज्जु श्रयनु चुत // 14 // इत्यादिदेशनाप्रति / समुत्थाय / * Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.