________________ प्रत्येक विझायावसरं ज्ञानी / समागाद्भर्मसागरः // स्वयं संसारनिर्विलो / देवदिन्नो व्रतं बलौ // 50 // अल्पेन कालेन स रागरोष-विवर्जितो.ध्वस्तसमस्तदोषः // श्रीकेवलज्ञानमवाप्य धाम / निःचरित्र श्रेयसं नाम मुनिर्जगाम // 51 // राजा सागरदत्तोऽथ / सर्वविद्याधरार्चितः // श्रीवबजपुरे राज्यं / कुरुतेस्म यथासुखं // 55 // श्तः प्रियध्वजाख्यस्व / राज्ञश्चंप्रमती सुता // मागधासागरदेव-मनीषीद्गुणसागरं // 53. // सानुरागाथ सा जज्ञे / तस्मिन् नानाविवाब्जिनी // तमनिप्रायमझासी-दिगिर्जननी शनैः // 54 // तया निवेदितः राज्ञः / स एवं पर्यनाव॥ यत् // जीवः कुसुममालायाः / कन्या चंमती तथा // 55 // पूर्वानुरागबझाया-स्तदस्या विदधाम्यहं // विवाहोत्सवमाकार्य / तं कुमारं मनोहरं // 56 // ध्यात्वेति प्राहिणोद् नृत्या न / हरिषेणनृपांतिके // तैर्गत्वा प्रणतिं कृत्वा / योजितांजलयोऽज्यधुः // 57 // स्वामिन् यदपुरस्वामि-प्रियध्वजनरेशितुः // अस्ति चंजमती पुत्री / पवित्रीकृतभूतला // 5 // म. हाराज कुमारं ते। सागरदेवसंझकं // श्रुत्वा सा सानुरागाभू-ज्यते हि सॅमः समे // // ५ए // अथ प्रसव सद्यः स्वं / कुमारं प्रेष्य सांप्रतं // नृपस्य नृपपुत्र्याश्र / प्रयख मनो P P.AC. Gunratnasun M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust