________________ प्रत्येक 208 शेषादभूवुःखी / सुखी च सुकृतात्ततः॥ 17 // इति पूर्वजवान् श्रुत्वा / केवलज्ञानिनो मु. खात् // जातजातिः जवान् साक्षा-द्राजावादीप्रियध्वजः // 15 // अथो चतुरमत्याख्यचरित्रं मंत्रिपालि केवली // जगवन् देवदिन्नस्य / यास्ति जानुमती सुता // 20 // तस्याः सागर दत्ताख्ये / कुमारेऽस्मिन् कुतो महान् // अनुरागस्ततोऽवादी-त्केवलज्ञाननास्करः॥१॥ गुणचंशोऽनवत् श्रेष्टी / गुणश्रीस्तस्य गेदिनी // नाता गुणधरस्तस्य / तनार्या गुणमालिका // // 25 // चत्वारोऽपि सुरा जाता / देवलोके ततश्च्युताः // तेष्वेकः पुष्पसिंहोऽनू-द्रत्नसिंहो द्वितीयकः // 23 // जायें जाते तयोर्जीवौ / गुणश्रीगुणमालयोः // आद्या कुसुममालाख्या / हितीया वनसुंदरी // 14 // मित्रत्वेनाजवन् सर्वे / पुनर्देवालये सुराः // पुष्पसिंहरत्नसिंहजीवो काले ततश्श्युतौ // 15 // श्रायः सागरदेवोऽजूदन्यः सागरदत्तकः // जीवः कुसुममालायाः। कन्या चंमतीत्यत् // 26 // जीवस्तु वनसुंदर्या / , बाला सा जानुमत्यनुत् // अतः पंचनवस्नेहा-छमारे सानुरागिणी // 17 // इति सागरदत्तोऽपि / कुमारः स्वनवा. न्मुनेः // आकर्ण्य जातिस्मरणा-प्रत्यद तानखोकत // 20 // अथोत्थाय समस्तैस्तैः। प्रबु- // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust